क्या सोचू क्या लिखू कभी कभी खुद से यही पूछता हूँ । खुद से कभी कभी । जवाब वही आता है जो लिखें वाला हूँ “चुप चाप जो मन में आये लिखे जायदा पका मत’ । सच में यही वो ख्याल है जब में थोडा ज्यादा ही सोचने लगता हूँ । तो प्रयास कम ही करता हूँ । मैं अपनी रोज ही जिंदगी...
मेट्रो में चीन की दीवार
6 वर्ष पहले