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अहसास

कोई सोया नहीं रात भर..

कोई सोया नहीं रात भर.. जागती ऑंखें बताती हैं...कोई सोया नहीं रात भर, याद करता रहा तारे गिन, वो रात भर । बिस्तर की सिलवटें कहती हैं...कोई सोया नहीं रात भर, गिनते रहे करवटों का बदलना, वो रात भर । किताबों में रखे गुलाब बताते है...कोई सोया नहीं रात भर,   मुरझाये फूलों से पाते रहे खुश्बू का अहसास, वो रात भर ।...

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