कुछ दिन पहले मेरे साथ या कहे मेरे सामने कुछ ऐसा हुआ की मैंने सोचा चलो बहुत दिनों के एक बार फिर से लिखा जाये । होता ये है की मेरा ऑफिस कोई १५ किलोमीटर दूर है ऐ यात्रा मैं बस से पूरी करता हूँ । रोज रोज कुछ न कुछ नया होता है । मसलन कभी किसी का पर्स मारा जाता है तो कभी किसी का मोबाइल । और शुरू होता है असली खेल उसके बाद । बस मैं जिन जिन लोंगो को पता लगता है वो उस बंदे या बंदी को अपनी एक्सपर्ट राय जरूर देंगे । जैसे तभी कहते है मोबाइल को हाथ मैं रखो पर आज कल तो रुपया दे दो पर राय न दो । जैसे जैसे ।
एक दिन की बात बड़ी सभ्य सी दिखने वाली एक लड़की का मोबाइल किसी उच्चके ने गायब कर लिया । इस पर एक जनाब का कहना था कि अरे मैंने तो देखा था वो फला लड़के ने हाथ साफ़ किया है। अगर यही बात वो पहले बता देते तो कितना अच्छा होता शायद एक लड़की का मोबाइल तो बच जाता । कुछ एसा ही हुआ कुछ दिन के बाद एक लड़के ने मोबाइल निकालते एक को देख लिया तो चोर उल्टा उसी पर सवार हो गया और उसने पाने साथी को मोबाइल पता नहीं कैसे दे दिया । बाद मैं फिर एक सज्जन टपक पड़े कि मैंने देखा था कि उसने अपने एक साथी को मोबाइल दिया था । बस यंही पर तो धोखा खा गया इंडिया ।आज के लिए बस इतना बाकी कल । इसे पढ़े न पढ़े पर अब से रोज मैं तो लिखूंगा ।