कोई सोया नहीं रात भर..
याद करता रहा तारे गिन, वो रात भर ।
बिस्तर की सिलवटें कहती हैं...कोई सोया नहीं रात भर,
गिनते रहे करवटों का बदलना, वो रात भर ।
किताबों में रखे गुलाब बताते है...कोई सोया नहीं रात भर,
मुरझाये फूलों से पाते रहे खुश्बू का अहसास, वो रात भर ।
खतों कि सूखी स्याही बताती है…कोई सोया नहीं रात भर,
यादों के हर पल को शब्द बनाकर जागते रहे, वो रात भर ।
कमरे का स्याह रंग बताता है…कोई सोया नहीं रात भर,
ख़ामोशी पर भी आवाज़ का अहसास पाते रहे, वो रात भर
उनके साथ बिताये हर पल बताते हैं...कोई सोया नहीं रात भर,
उनकी छुअन का अहसास महसूस करता रहा, वो रात भर ।