­
दरीचे

रंग

रंग वो कहते हैं मैं बदनाम हो गया हूँ, उनकी गली में आम हो गया हूँ. मेरा आना भी उन्हें नागवार गुजरता है, उनके दरीचे का पर्दा भी नया लगता है. छत के फूल भी अब मुरझाने लगे हैं, सीढ़ियों पर भी अब जाले लगने लगे हैं. बदल दिया है समय आने जाने का, नज़र मिलने पर भी रंग अब बदलने लगे हैं....

Continue Reading

Subscribe