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नागवार

चंद अल्फाज़ तेरे लिये

कुछ पंक्तियाँ बस के यात्रा के दौरान मन में हिलोरे ले रही थी। सोचा लिख लू आज आपके सामने प्रस्तुत है आशा करता हूँ आपको अच्छी लगेगी। इसको लिखे के पीछे कोई निजी अनुभव नहीं पर हाँ देखे हुए जरूर है ।   वो कहते हैं बदनाम हो गया हूँ उनकी गली में आम हो गया हूँ। मेरा आना अब उन्हें नागवार गुजरता है उनके...

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अनजान राहों की तलाश में पथिक

अनजान राहों की तलाश में पथिक

मेरी नयी कविता : अनजान राहों की तलाश में पथिक ...

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