क्या है जिंदगी ?
मार्च 29, 2011
क्या कहू तुझे ऐ जिंदगी,
हर पल समझता हूँ तुझे फ़ना जिंदगी.
हर पल समझता हूँ तुझे फ़ना जिंदगी.
बहुत कुछ सीखा है तुझसे,
गिर कर उठना, फिर चलना है जिंदगी.
गिर कर उठना, फिर चलना है जिंदगी.
जब सोचा बहुत हुआ अब और नहीं,
हिम्मत करके लड़ना है जिंदगी.
हिम्मत करके लड़ना है जिंदगी.
मुक्कदर में लिखा है मिलेगा,
ना मिले गर तो लड़, वो भी पायेगा जिंदगी.
ना मिले गर तो लड़, वो भी पायेगा जिंदगी.
साहस को तपा कर और बन साहसी,
फिर बोल कहाँ है जिंदगी.
फिर बोल कहाँ है जिंदगी.
कर सामना हर मुश्किल,
जो हार गया तो क्या है, फिर उठ अभी भी बाकी है जिंदगी.
जो हार गया तो क्या है, फिर उठ अभी भी बाकी है जिंदगी.
सोचता हूँ की होगा अब कुछ नया,
उसी पल नए करवट लेती है जिंदगी.
उसी पल नए करवट लेती है जिंदगी.
हर बार नए कदम बढाता,
सोच कर यही की अब तो बदलेगी जिंदगी.
सोच कर यही की अब तो बदलेगी जिंदगी.
जिऊंगा ऐसे कि मैं ना याद रखूं,
जिंदगी कहे वह क्या जी जिंदगी.
जिंदगी कहे वह क्या जी जिंदगी.
3 टिप्पणियाँ
mai is baat se sehmat hu ki apna past kabhi nahi bhulungi q ki mujhe apna future aage badhana hai
जवाब देंहटाएंThanks Rashmi apne view share karne ke liye
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ की होगा अब कुछ नया,
जवाब देंहटाएंउसी पल नए करवट लेती है जिंदगी. हर बार नए कदम बढाता,
सोच कर यही की अब तो बदलेगी जिंदगी.
खूब कहा आपने ..... बस यही उहापोह है ज़िन्दगी....