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दरीचे

रंग

रंग वो कहते हैं मैं बदनाम हो गया हूँ, उनकी गली में आम हो गया हूँ. मेरा आना भी उन्हें नागवार गुजरता है, उनके दरीचे का पर्दा भी नया लगता है. छत के फूल भी अब मुरझाने लगे हैं, सीढ़ियों पर भी अब जाले लगने लगे हैं. बदल दिया है समय आने जाने का, नज़र मिलने पर भी रंग अब बदलने लगे हैं....

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नागवार

चंद अल्फाज़ तेरे लिये

कुछ पंक्तियाँ बस के यात्रा के दौरान मन में हिलोरे ले रही थी। सोचा लिख लू आज आपके सामने प्रस्तुत है आशा करता हूँ आपको अच्छी लगेगी। इसको लिखे के पीछे कोई निजी अनुभव नहीं पर हाँ देखे हुए जरूर है ।   वो कहते हैं बदनाम हो गया हूँ उनकी गली में आम हो गया हूँ। मेरा आना अब उन्हें नागवार गुजरता है उनके...

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