कहते हैं बड़े-बड़े शहर कभी नहीं सोते पर मैं कहता हूँ वो जागते हैं आपने सपने पूरा करने के लिये । क्योंकि वो हर समय अपनी धुन में रहते हैं । और सब के सब अपने सपने को पूरा करने के जुगाड में लगे रहते हैं । इसलिये घर में लोग कम हो रहे हैं और रोड पर बढ़ रहे हैं जाने किसकी तलाश में भटक रहे है । हर रोज़ नये नये बाहन रोड पर आ रहें हैं, नई नई मोटरसाइकिल रोज़ आपके आगे से धुआं निकलते हुए बड़ी तेज़ी से निकल जाती है और आपको लगता आर ये वाली बाइक कौन सी आ गई अभी तक तो नहीं देखी थी । चलो कोई नहीं फिर ठीक से देख लेने की तमन्ना लिये हम आगे बढ़ जाते हैं । आप चाहे किधर भी जाये आप मोटरों के धुएं से नहीं बच सकते । बस में तो हालत और विचित्र होती है क्योंकि वो चोडी ज्यादा होती है तो छोटे छोटे रास्तों से निकल नहीं पाती है और जबरन जाम का शिकार होती है और उसके पीछे लग जाती है लंबी लाइन फिर चाहे कारण गलत दिशा में लगी मोटरसाइकिल ही क्यों न हो । पर उसे लगता है की वो सही जगह पर लगी है ।
अगर आप कार से सफर करते है तो आपको लाल बत्ती पर रुकना अक्सर बेकार लगता होगा क्योंकि जैसे ही रेड लाइट होती है और कारें या बाइक रूकती है आपके पास मौसम और समय के हिसाब से दुकानदार आते हैं । ये मेरे ख्याल से विश्व का पहले बाजार होगा जहाँ दूकानदार ग्राहक के पास आते हैं । मसलन अगर मौसम सर्दी का है और ठण्ड ज्यादा है जो ग्लब्स वाले, गरम टोपी वाले आपके पास आते हैं । और अगर क्रिसमस हो तो लाल टोपी वाले और आपके पास से इस तरह से गुजर जाते हैं जैसे की आपको उन्होंने लालच दिया है लो “न लो कम से कम देख तो लो”। और वो बच्चों को विशेष रूप से अपने और आकर्षित करते है मुझे उनका यह स्टाइल बड़ा पसंद आता है । वो बच्चे को देख कर उसे खिलौने या गुब्बारे से ललचाते है और जब उनके माता पिता देखते है तो वो मुहं किसी और तरफ कर लेते है । और यही क्रम २-३ बार होता है और लो सामान बिक गया । रोड उनका शोरूम बन जाता है वहीँ पर सब कुछ चलता है खुले आसमान के नीचे बिलकुल बिंदास । आपको हर वो जरूरत की चीज़ मिल जायेगी जो आपके काम की है । अगर आप कार वाले है तो कार का सामान, बाइक वाले भाई को बाइक का सामान । एक बार की बात है मैं बाइक से कंही जा रहा था मेरी गाड़ी रेड लाइट पर रुकी तो एक जनाब मेरे पास आये और बोले आपको बाइक का टायर चहिये तो आगे वाली पंचर की दुकान पर आ जाओ सही भाव में दे दूँगा । मैं बस उसे देखता रह गया । हर शनिवार को भगवान आपके कार और बाइक के पास आते हैं और आपका भला कर के चले जाते है और जिनके हाथ में भगवान होते हैं वो शनिवार छोड़ कर भीख या कुछ और काम करते हैं । पर शनिवार को भगवान को याद दिलाना नहीं भूलते की आज शनिवार है । कुछ रेड लाइट रात में रेड लाइट का ही अड्डा बन जाता है । रेड लाइट वाले दूकानदार और ग्राहक की निगाह मेरे ख्याल से किसी और दुकान दार से ज्यादा तेज और चालक होती है । उनकी सारी कमाई उस पर निर्भर जो करती है । 1 मिनट की रेड लाइट में बेचना भी है और दिखाना भी है फिर पसंद आने पर पैसे भी काट कर लौटाने हैं । तो ऐसा फुर्ती से काम बस मुझे लगता है लाल बत्ती के सेल्समैन ही कर सकते हैं खुद रोकेट सिंह भी नहीं कर सकता है ।
इसका अंदाज़ा आज से बहुत पहले मधुर भंडारकर को हो गया और उन्होंने कुछ हज़ार या कहे कुछ १०० रुपये प्रतिदिन कमाने वाले लोगो पर एक फिल्म ही बना डाली । “ट्रैफिक सिग्नल” करके पर उन्होंने वो दिखा दिया जो होता है । और वाह वाही लूटी वो अलग से । इसका अंदाज़ा शायद पेट्रोल बेचने वालों को भी गया है और साथ में मार्केटिंग वालों को भी क्योंकि अब रेड लाइट पर जिस तरह से प्रचार तेज़ी से शुरू हो गया है उसे देख कर लगता है की वो दिन दूर नहीं जब एक दिन मैक-डोनाल्ड वाले रेड रेड लाइट स्पेशल बर्गेर और कोक बेचते नज़र आएंगे । जिस प्रकार सड़क पर वाहनों की रफ़्तार बढ़ रही है मुझे ये दिन दूर नहीं लगता है । अब तो मैंने एक होर्डिंग देखी की रेड लाइट पर बचाइए 100 रुपये प्रतिमहीना । मतलब 1200रुपये प्रति वर्ष। आपको करना ये है की आपको बस रेड लाइट पर अपनी गाड़ी बंद करनी है । लो कर लो बात पर उन्होंने ये नहीं सोचा की अगर रेड लाइट पर ज्यादा देर खड़ा रहा तो हो सकता है कुछ न कुछ प्रतिदिन खरीद सकता हूँ जो महीने से 100 रुपये से ज्यादा महंगा हो सकता है । खैर ये तो अपने अपने इच्छा पर भी निर्भर करती है पर मुझे रेड लाइट पर कभी कभी चिक्की खाना बड़ा पसंद है ।