इश्क-विश्क और फेसबुक
मई 27, 2011
मेट्रो अपने एक तरह की माया नगरी है जहां हर कोई कलाकार है और वही उसका निर्देशक है. हर रोज एक नई फिल्म लिखी जाती है और उस पर काम होता है । जिसमे मेट्रो एक बड़ा ही महत्वपूर्ण रोल निभाता है । क्योंकि मेट्रो प्यार की नई फ़सल वालों के लिए सबसे अच्छे अड्डे बनते जा रहे हैं । कन्धों पर बैग के साथ में दिल में तमाम सपनों को लिए ये रोज मेट्रो में सवार होते हैं और निकल पड़ते है एक नई मंजिल की तरफ । मेट्रो के एसी कोच की हवा खाते और खुद को बस की गर्मी में लू से बचाते, सीढियों पर बैठ पर घन्टों बतियाते , हर रोज नए सपनों को बुनते है ।
ये नज़ारा मेट्रो के हर स्टेशन का है, जहां पर बड़े आराम से ऐसा देख सकते हैं । मेट्रो स्टेशन की सीढियों पर आधे से ज्यादा जगह पर इनका कब्ज़ा होता है और इनको किसी और की कोई फिक्र नहीं होती. बस फिक्र होती है तो अपने प्यार की ।
जब ये सीढ़ियों से निकल कार मेट्रो के डिब्बे में जाते हैं तो इश्क का बुखार वहां भी कम नहीं होता, कोई किसी को ले कर सीट पर ऐसे बैठता है जैसे दिन दुनिया में उसे देखने वाला कोई नहीं है । तो कोई खड़े खड़े ही इश्क की इबादते पढ़ने लगता है । आज कल एक नया ट्रेंड देखने को आया है पहले लोग इधर-उधर की या पड़ोस में रहने वाले / वाली की बात करते थे आज कल फेसबुक का जमाना है हर कोई फेसबुक की बात करता है । और बाखुदा अगर वो इस बला वेबसाइट से नहीं जुडा हुआ है तो आपको ऐसे देखेंगे जैसे अपने घोर पाप कर दिया है । आप ज़िल्लत से बचने के लिए घर जाते ही जुड जाते है और अगले दिन अपडेट करते है I m on Facebook. फिर सिलसिला शुरू होता है दोस्ती का और फेसबुक से मोहब्बत का ।
कुछ ऐसा ही नज़ारा, कुछ दिन पहले मेट्रो में देखने को मिला । एक लड़का और लड़की बड़े आराम से बात कर रहे थे पता नहीं किधर से बात फेसबुक पर आ कर रुक गयी । फिर क्या था लड़का पहले लड़की को समझा रहा था कि किसी अंजान को add मत किया करो, सबसे बात मत किया करो, ये फेसबुक अच्छी चीज़ नहीं है । लड़की बड़ी देर तक सुनती रही जब उसका मन भर गया तो उसने शुरू किया की, तुमने फेसबुक पर 2 अलग अलग नाम से प्रोफाइल क्यों बना रखी है, तुम रोज नई-नई लड़कियां को फ्रेंड बनाते हो मैंने कभी कहा । अब तो लड़के का चेहरा देखने वाला था । उसने बोला how you know ?? लड़की बड़े प्यार से बोली की जिस जुली को कल तुमने अपना नंबर दिया ना वो मैं ही थी । अब तो लड़का शर्मशार हुआ जा रहा था । पर जैसे चोट खायी हुई नागिन अपना बदला लेती ही है उसी तरह गर्ल फ्रेंड से चोट खाया बॉय फ्रेंड बदला जरूर लेता है । वो भी लड़की पर बरस गया की, मुझे पहले ही शक था की तुम ऐसा करती हो और तुम्हे ही पकड़ने के लिए मैंने ऐसा किया था । जब ये सुना तो मेरी हँसी नहीं रुकी । तभी किसी लड़के का फोन आया ... लड़के ने पूछा कौन था ? लड़की बोली फेसबुक फ्रेंड है । अब तो लड़के का पारा 104 पर था । फिर क्या क्या तू-तू मैं-मैं होती रही । इतिहास में की गयी कोई भी गलती का आज हिसाब-किताब और कच्चा चिटठा खुलता गया, एक-एक कर के । कभी लड़की शर्मिंदा होती तो कभी लड़का । खैर ऐसा करीब 45 मिनट तक चला होगा । फिर दोनों फेसबुक पर बहस करते करते उतर गए ।
ये नज़ारा मेट्रो के हर स्टेशन का है, जहां पर बड़े आराम से ऐसा देख सकते हैं । मेट्रो स्टेशन की सीढियों पर आधे से ज्यादा जगह पर इनका कब्ज़ा होता है और इनको किसी और की कोई फिक्र नहीं होती. बस फिक्र होती है तो अपने प्यार की ।
जब ये सीढ़ियों से निकल कार मेट्रो के डिब्बे में जाते हैं तो इश्क का बुखार वहां भी कम नहीं होता, कोई किसी को ले कर सीट पर ऐसे बैठता है जैसे दिन दुनिया में उसे देखने वाला कोई नहीं है । तो कोई खड़े खड़े ही इश्क की इबादते पढ़ने लगता है । आज कल एक नया ट्रेंड देखने को आया है पहले लोग इधर-उधर की या पड़ोस में रहने वाले / वाली की बात करते थे आज कल फेसबुक का जमाना है हर कोई फेसबुक की बात करता है । और बाखुदा अगर वो इस बला वेबसाइट से नहीं जुडा हुआ है तो आपको ऐसे देखेंगे जैसे अपने घोर पाप कर दिया है । आप ज़िल्लत से बचने के लिए घर जाते ही जुड जाते है और अगले दिन अपडेट करते है I m on Facebook. फिर सिलसिला शुरू होता है दोस्ती का और फेसबुक से मोहब्बत का ।
कुछ ऐसा ही नज़ारा, कुछ दिन पहले मेट्रो में देखने को मिला । एक लड़का और लड़की बड़े आराम से बात कर रहे थे पता नहीं किधर से बात फेसबुक पर आ कर रुक गयी । फिर क्या था लड़का पहले लड़की को समझा रहा था कि किसी अंजान को add मत किया करो, सबसे बात मत किया करो, ये फेसबुक अच्छी चीज़ नहीं है । लड़की बड़ी देर तक सुनती रही जब उसका मन भर गया तो उसने शुरू किया की, तुमने फेसबुक पर 2 अलग अलग नाम से प्रोफाइल क्यों बना रखी है, तुम रोज नई-नई लड़कियां को फ्रेंड बनाते हो मैंने कभी कहा । अब तो लड़के का चेहरा देखने वाला था । उसने बोला how you know ?? लड़की बड़े प्यार से बोली की जिस जुली को कल तुमने अपना नंबर दिया ना वो मैं ही थी । अब तो लड़का शर्मशार हुआ जा रहा था । पर जैसे चोट खायी हुई नागिन अपना बदला लेती ही है उसी तरह गर्ल फ्रेंड से चोट खाया बॉय फ्रेंड बदला जरूर लेता है । वो भी लड़की पर बरस गया की, मुझे पहले ही शक था की तुम ऐसा करती हो और तुम्हे ही पकड़ने के लिए मैंने ऐसा किया था । जब ये सुना तो मेरी हँसी नहीं रुकी । तभी किसी लड़के का फोन आया ... लड़के ने पूछा कौन था ? लड़की बोली फेसबुक फ्रेंड है । अब तो लड़के का पारा 104 पर था । फिर क्या क्या तू-तू मैं-मैं होती रही । इतिहास में की गयी कोई भी गलती का आज हिसाब-किताब और कच्चा चिटठा खुलता गया, एक-एक कर के । कभी लड़की शर्मिंदा होती तो कभी लड़का । खैर ऐसा करीब 45 मिनट तक चला होगा । फिर दोनों फेसबुक पर बहस करते करते उतर गए ।
मुझे लगता है फेसबुक आज कल चर्चा का मुद्दा है । जहां 4 लोग जुटते है वहीँ उसकी चर्चा होती है । वैसे मैं भी इससे अजीज आने वाला हूँ पर क्या करू 70फैन्स है ........
0 टिप्पणियाँ