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इंडिया गेट

मासूम बचपन

मेरे और मेरे भतीजे अरनव के बीच ऐसा होता है, तो सोचा सब चीजों को शब्दों के रूप में आपके सपने प्रस्तुत कर दूँ । आशा करता हूँ मेरा ये प्रयास आपको अच्छा लगेगा ।                मासूम बचपन  चंचल आँखों के नए सपने, हर रोज खिलौनों से खेले । अपनी हर बात को मनवाती, तेरी ये मासूम ऑंखें...

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उंगली

बस का नहीं ऑटो वाले भैया को धन्यवाद

बस का नहीं ऑटो वाले भैया को धन्यवाद एक बार पुनः आप सभी से क्षमा चाहूँगा कि मैं पुरे ३ दिनों के बाद ब्लॉग पर आया हूँ । इसके पीछे मेरी ही कुछ कहानी है जिसे में बयां नहीं कर सकता हूँ । पर सच मानिये लिखते वक्त बड़ा सुकून मिलता है । आज में सबसे पहले उस ऑटो वाले भैया को धन्यवाद देना...

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