बस का नहीं ऑटो वाले भैया को धन्यवाद
अप्रैल 27, 2010
मेरे ऑफिस से घर और घर से ऑफिस जाने की यात्रा की कहानियाँ और दैनिक जीवन के कुछ लम्हों के साथ दिल से निकलने वाले कुछ अनछुए पहलू जिन्हें लिख कर मुझे अच्छा लगता है. मुझे आशा है कि आपको पढ़ कर भी अच्छा लगेगा.
1 टिप्पणियाँ
mere चेहरे पर चमकती चीज़ every saturday ko night club me dekne ko milti hai.
जवाब देंहटाएंthis is a very nice blog.
i like it