पति पत्नी का झगडा और बेचारी बस की सवारी
अप्रैल 09, 2010
पति पत्नी का झगडा और बेचारी बस की सवारी
कल बस का सफर कुछ ज्यादा ही सुहावना था । कारण आगे बता दूँगा । वैसे मैं कल भी अँधेरा होने पर ही ऑफिस से निकला था । रोज की तरह थोड़ी उलझने थोड़ी परेशानी । बाहर निकलने पर ही पता चलता है की मौसम का मिजाज़ कैसा है वर्ना ऑफिस में तो एक जैसा माहौल होता है । जैसे वो ब्लूस्टार एसी वाले एड में होता है । कंही गर्मी कंही सर्दी । वैसे जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे वैसे बस में भी भीढ़ बढ़ रही है । इसका पता मुझे बस स्टैंड पर जा कर पता चला । आज कुछ ज्यादा ही भीढ़ थी । पता नहीं क्यों ? कुछ देर बाद मैंने देखा की और भी ज्यादा भीढ़ बढ़ गयी पर किसी और रूट की बस के जाने के बाद जैसे दिल को सुकून मिला । अब स्टैंड पहले की तरह लग रहा था । खाली खाली सा । मैं रोज एक आदमी को देखता हू वैसे तो उसमे सारे लक्षण सामान्य है पर वो चुनही बहुत खाता है । मतलब अगर में कहू की वो मेरे स्टैंड पर खड़े होने तक ३-४ बार चुनही चुना ही लेता है और बड़े आराम से मुह में दबा कर निश्चिंत हो जाता है सो सोचता है की आये अब कोई बस में तो तैयार हूँ । कल बस में उतनी भीढ़ नहीं थी जितनी होनी चाहिये । अच्छा बस में आप किसी से भीढ़ न होने का ज़िक्र करीये तो वो सीधा दिन और समय का हवाला दे देता है “जैसे आज बस में भीढ़ कम है” तो वो तुरंत कहेगा अरे वो आज गुरुवार है न इसलिए । या कहेगा रात ज्यादा हो गयी न इसलिए । ये भीढ़ और दिन एक दूसरे के सच में पूरक है या पता नहीं क्या है । वो जाना अभी फिर चुनही में ही लगे है । वैसे मैंने उनको बस में एक ही जगह खड़े होते देखा है । बस में लाख भीढ़ हो पर वो कुछ ना कुछ करके वंही पर पहुच जाते है । उनको पीछे करते हुए मैं बस में आगे निकल गया । आज मानो उपर वाले ने मुझ पर ज्ञान की बरसात करने के मन बनाया था । मैं जहाँ खड़ा हुआ वो जगह मुझे अच्छी लगी पर बाद में वो मुझे मोक्ष स्थान का महत्व दे गया । मेरे खड़े होने की जगह पर जो महिला बैठी थी वो फोन पर अपने पति से झगडा कर रही थी । जिससे पूरा बस आन्दोलित हो गया था । वो बार बार फोन पर अपने पति की और उसके घरवालों की बुराई करते नहीं थकती थी । और जिस तरह से वो बोल रही थी मुझे लग रहा था की उनकी गाडी वनवे पर चलती थी । मतलब वो सिर्फ बोल रही थी और सिर्फ बोल रही थी । मुझे नहीं लग रहा था वो उसका पति बेचारा कुछ कह भी पा रहा था । वो सिर्फ सुन ही रहा होगा और जब भी बोलने की कोशिश करता था ये महिला उसे चुप करा देती । महिला के कथन के अनुसार सारी बुरी चीजे उसी के साथ हुई । एक संवाद पर तो मुझे हसी आ गयी उसने कहा “ तुम्हारी गाडी वैसे तो पन्चर नहीं होती पर जब में बैठती हू तभी क्यों पंचर हुई “। अब ये तो उस आदमी की खराब किस्मत थी क्योंकि गाडी पंचर होना किसी के वस् में नहीं । पर वो महिला बस के अंदर उसकी पंचर गाडी की टयुब निकाल रही थी । मुझे कभी कभी उस पुरुष पर दया भी आ रही थी और तरस भी आ रहा था । की पता नहीं किस परिस्थिति में वो अपनी बीवी की बात सुन सहा होगा और क्या सोच रहा होगा । उस मोक्ष प्राप्ति के दौर ने मुझे खाली सीट पर भी ना बैठेने को प्रोत्साहित किया और मैंने कल खड़े खड़े यात्रा करने का प्रण लिया । ताकि और ज्ञान अर्जित कर सकू । जैसे जैसे बस आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे वो उनकी मोटरसाइकिल से ले कर घर की छत तक का हिसाब ले रही थी । और बीच बीच में मुझे कुछ कुछ ज्ञान की प्राप्ति हो रही थी । और मुझे सीख मिल रही थी की शादी के बाद कम से कम मेरे साथ ऐसा न हो और अगर हो तो क्या कहना है । एक बात और मजेदार कही की “ जब मुझे कंही जाना होता था तभी तुम्हारे घर में सब बाहर जाते वर्ना कोई नहीं बाहर जाता सब के सब घर में होते” और तो और “छत पर भी मेरे ही कपडे डोर पर से गिरते थे तुम्हारे घरवालों के नहीं” । मुझे एक बात और समझ में नहीं आई की वो महिला अर्थात किसी की शादीशुदा बीवी गौर कितना करती थी । की हर पल पल की चीज़ उसने उसे बता दी । पर उनकी बातों से मुझे ये नहीं पता चला की वो ऐसा पहली बार कर रहे है या ये रोज की बात है जिसे खट्टी-मिट्ठी नोक-झोक कहते है या सच में उसकी बीवी बस से अपने किसी रिश्तेदार के यंहा जा रही थी । उनके इस प्रकार के गृहयुद्ध ने बस में शायद कई लोंगो को ज्ञान दिया हो । और बस का सफर कब कट गया पता ही नहीं चला । जब तक वो शांत होती उनके पास एक नयी ब्याहता ने उन्हें ज्वाइन कर लिया था । और वो उनसे शायद टिप्स ले रही थी । मैंने मन में सोचा अब ये टिप्स देगी या उसे नयी दिशा में में ले जायेगी । पर जो भी आज मुझे कुछ न कुछ ज्ञान जरूर दे गया और मुझे उस नयी ब्याहता के बारे में चिंता हो रही थी और सोच रहा था की उसे भी आज ही बस में चढना था ये क्या वो किसी और बस में नहीं चढ सकती थी । हो सकता है की शायद में उसे भी किसी दिन किसी को बस में किसी और को राय देते हुए देखू ।
कल बस का सफर कुछ ज्यादा ही सुहावना था । कारण आगे बता दूँगा । वैसे मैं कल भी अँधेरा होने पर ही ऑफिस से निकला था । रोज की तरह थोड़ी उलझने थोड़ी परेशानी । बाहर निकलने पर ही पता चलता है की मौसम का मिजाज़ कैसा है वर्ना ऑफिस में तो एक जैसा माहौल होता है । जैसे वो ब्लूस्टार एसी वाले एड में होता है । कंही गर्मी कंही सर्दी । वैसे जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे वैसे बस में भी भीढ़ बढ़ रही है । इसका पता मुझे बस स्टैंड पर जा कर पता चला । आज कुछ ज्यादा ही भीढ़ थी । पता नहीं क्यों ? कुछ देर बाद मैंने देखा की और भी ज्यादा भीढ़ बढ़ गयी पर किसी और रूट की बस के जाने के बाद जैसे दिल को सुकून मिला । अब स्टैंड पहले की तरह लग रहा था । खाली खाली सा । मैं रोज एक आदमी को देखता हू वैसे तो उसमे सारे लक्षण सामान्य है पर वो चुनही बहुत खाता है । मतलब अगर में कहू की वो मेरे स्टैंड पर खड़े होने तक ३-४ बार चुनही चुना ही लेता है और बड़े आराम से मुह में दबा कर निश्चिंत हो जाता है सो सोचता है की आये अब कोई बस में तो तैयार हूँ । कल बस में उतनी भीढ़ नहीं थी जितनी होनी चाहिये । अच्छा बस में आप किसी से भीढ़ न होने का ज़िक्र करीये तो वो सीधा दिन और समय का हवाला दे देता है “जैसे आज बस में भीढ़ कम है” तो वो तुरंत कहेगा अरे वो आज गुरुवार है न इसलिए । या कहेगा रात ज्यादा हो गयी न इसलिए । ये भीढ़ और दिन एक दूसरे के सच में पूरक है या पता नहीं क्या है । वो जाना अभी फिर चुनही में ही लगे है । वैसे मैंने उनको बस में एक ही जगह खड़े होते देखा है । बस में लाख भीढ़ हो पर वो कुछ ना कुछ करके वंही पर पहुच जाते है । उनको पीछे करते हुए मैं बस में आगे निकल गया । आज मानो उपर वाले ने मुझ पर ज्ञान की बरसात करने के मन बनाया था । मैं जहाँ खड़ा हुआ वो जगह मुझे अच्छी लगी पर बाद में वो मुझे मोक्ष स्थान का महत्व दे गया । मेरे खड़े होने की जगह पर जो महिला बैठी थी वो फोन पर अपने पति से झगडा कर रही थी । जिससे पूरा बस आन्दोलित हो गया था । वो बार बार फोन पर अपने पति की और उसके घरवालों की बुराई करते नहीं थकती थी । और जिस तरह से वो बोल रही थी मुझे लग रहा था की उनकी गाडी वनवे पर चलती थी । मतलब वो सिर्फ बोल रही थी और सिर्फ बोल रही थी । मुझे नहीं लग रहा था वो उसका पति बेचारा कुछ कह भी पा रहा था । वो सिर्फ सुन ही रहा होगा और जब भी बोलने की कोशिश करता था ये महिला उसे चुप करा देती । महिला के कथन के अनुसार सारी बुरी चीजे उसी के साथ हुई । एक संवाद पर तो मुझे हसी आ गयी उसने कहा “ तुम्हारी गाडी वैसे तो पन्चर नहीं होती पर जब में बैठती हू तभी क्यों पंचर हुई “। अब ये तो उस आदमी की खराब किस्मत थी क्योंकि गाडी पंचर होना किसी के वस् में नहीं । पर वो महिला बस के अंदर उसकी पंचर गाडी की टयुब निकाल रही थी । मुझे कभी कभी उस पुरुष पर दया भी आ रही थी और तरस भी आ रहा था । की पता नहीं किस परिस्थिति में वो अपनी बीवी की बात सुन सहा होगा और क्या सोच रहा होगा । उस मोक्ष प्राप्ति के दौर ने मुझे खाली सीट पर भी ना बैठेने को प्रोत्साहित किया और मैंने कल खड़े खड़े यात्रा करने का प्रण लिया । ताकि और ज्ञान अर्जित कर सकू । जैसे जैसे बस आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे वो उनकी मोटरसाइकिल से ले कर घर की छत तक का हिसाब ले रही थी । और बीच बीच में मुझे कुछ कुछ ज्ञान की प्राप्ति हो रही थी । और मुझे सीख मिल रही थी की शादी के बाद कम से कम मेरे साथ ऐसा न हो और अगर हो तो क्या कहना है । एक बात और मजेदार कही की “ जब मुझे कंही जाना होता था तभी तुम्हारे घर में सब बाहर जाते वर्ना कोई नहीं बाहर जाता सब के सब घर में होते” और तो और “छत पर भी मेरे ही कपडे डोर पर से गिरते थे तुम्हारे घरवालों के नहीं” । मुझे एक बात और समझ में नहीं आई की वो महिला अर्थात किसी की शादीशुदा बीवी गौर कितना करती थी । की हर पल पल की चीज़ उसने उसे बता दी । पर उनकी बातों से मुझे ये नहीं पता चला की वो ऐसा पहली बार कर रहे है या ये रोज की बात है जिसे खट्टी-मिट्ठी नोक-झोक कहते है या सच में उसकी बीवी बस से अपने किसी रिश्तेदार के यंहा जा रही थी । उनके इस प्रकार के गृहयुद्ध ने बस में शायद कई लोंगो को ज्ञान दिया हो । और बस का सफर कब कट गया पता ही नहीं चला । जब तक वो शांत होती उनके पास एक नयी ब्याहता ने उन्हें ज्वाइन कर लिया था । और वो उनसे शायद टिप्स ले रही थी । मैंने मन में सोचा अब ये टिप्स देगी या उसे नयी दिशा में में ले जायेगी । पर जो भी आज मुझे कुछ न कुछ ज्ञान जरूर दे गया और मुझे उस नयी ब्याहता के बारे में चिंता हो रही थी और सोच रहा था की उसे भी आज ही बस में चढना था ये क्या वो किसी और बस में नहीं चढ सकती थी । हो सकता है की शायद में उसे भी किसी दिन किसी को बस में किसी और को राय देते हुए देखू ।
1 टिप्पणियाँ
Tum likhte to sahi ho....lekin blog ko aur chatpata banao....logo ke kapde, joote aur ladies ke makeup ke baare me bhi batao un kuch logo ko jo tumhara yeeeee blog padhte hainnnnnn
जवाब देंहटाएंtheek chaii....bujhlihi burbak
;-)