बस में बिना टिकट की सवारी और उनकी बहस
अप्रैल 14, 2010
बस में बिना टिकट की सवारी और उनकी बहस
आज में आपको अपने ऑफिस से जाने की कहानी कहने के बजाये घर से ऑफिस आने की कहानी कहने जा रहा हूँ । लोंगों को भ्रम है है की लड़के की आमतौर पर बदमाश या कामचोर होते है पर ऐसा नहीं है । कामचोरी की कोई उम्र , कोई जातपात , कोई धर्म नहीं होता । यहाँ तक की कामचोर कोई भी हो सकता है चाहे वो लड़का हो या लड़की । इसके लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है । हालाँकि मैंने ऐसा सुना था पर अपने आँखों से नहीं देखा था । और मैंने न ही कभी विश्वास किया था । रोज की तरह ही में पाने घर से बस पकड़ने के लिए सही समय पर निकल जाता हूँ पर उस विदेशी महिला ने पिछले २-३ दिनों में मेरी नींद और चैन से साथ खिलवाड़ कर दिया है । उसका असर मुझे अभी तक लगता है और उसी के कारण में आज बस पकड़ने में लेट हो गया । और अपनी नियमित बस को मिस कर दिया । और बहुत सी नियमित सवारिओं को भी । चलो कोई नहीं आज कोई और ही सही । मैं भी दूसरे बस में चढ गया और सोचा चलो थोडा बदलाव का आनंद लिया जाये । बस में कुछ खास भीढ़ नहीं थी । पर सीट भी नहीं मिली । मैं शाम वाला दिमाग सुबह लगाया और अपने संभावित सीट के पास खड़ा हो गया । सुबह सुबह बस का माहौल बड़ा रंगीन हो गया था बस में । सभी की गर्दन में बल पड़ गए थे । आप समझ ही गए होंगे क्यों । चूँकि ये परिवारिक ब्लॉग तो नहीं पर इसे सभ्य लोग पढते है तो सबका दिमाग चल ही गया होगा की में किस ओर निशाना लगा रहा हूँ । बस ला माहौल धीरे धीरे नरम से गरम होता गया । पर हाय सीट न मिली । पर मुझे उसका कोई गम नहीं था । अब बस में अच्छी खासी भीढ़ हो चुकी थी । बस में ठसाठस भीढ़ हो चुकी थी । ओर लोग एक दूसरे पर धक्को की भरमार कर रहे थे । की तभी बस ने फ़िल्मी अंदाज़ में ब्रेक लगायी । ओर ४-५ लोग फ़िल्मी अंदाज़ में फौज वालों की तरह चढ़े ओर सामान्य आदमी की तरह टिकेट चेक करने लगे । ऐसा देख कर मुझे अपने हाइ स्कूल के दिन याद आ गए । उन दिनों बी.जे.पी का राज हुआ करता था ओर नक़ल विरोधी दस्ते स्कूल में छापा मारते थे । और जो छात्र पकड़ा गया उसको सीधे जेल की हवा । कुछ ऐसा ही नज़ारा आज बस में था । जितनी तत्परता के साथ उन लोगों ने बस में चढ़ी सवारिओं से टिकेट मांगना शुरू किया वो देखने वाला था । सब लोग अपना अपना टिकेट दिखने लगे । तभी आवाज़ आई भाई साहब इधर आइये । उनको एक शिकार मिल गया था । चलो उन लोंगो ने किसी को तो पकड़ा और उनका मिशन सफल हुआ । उस पर २००-३०० का जुरमाना लगाया गया । वो जनाब बहुत शरीफ थे बिना किसी चुचपड के उन्होंने जुरमाना अदा कर दिया । टिकेट चेक करने वाले भी बड़ी शराफत के साथ उनका चालान काटा । वो लोग ये प्रक्रिया कर ही रहे थे की तभी एक आवाज़ और आई की एक और है । अब सबकी गर्दन दूसरी तरफ ही गयी । दूसरा शिकार शिकार नहीं शिकारिन निकली । वो अच्छे घर से संबंध रखने वाली लग रही थी और पढ़ी लिखी होने का सबूत दे रही थी । पर वो कहते है न की आप किसी को पढ़ा लिखा सकते है समझ और अकलमंदी वो खुद ले कर आता है । और मेरे ख्याल से वो ले कर आज नहीं आई थी । और साथ मैं अपना पास भी भूल गयी थी ऐसा उनका कहना था । पर चोर पहली बार चोरी करता क्यों न पकड़ा जाये चोर चोर होता है । उन महिला ने अपनी गलती को नहीं स्वीकार की उन्होंने टिकेट नहीं लिया उपर से झूठ पर झूठ बोले जा रही थी की उनके पास पास है और वो घर भूल गयी है । उस पर से बोल रही थी की अब वो टिकेट ले लेती है । पर ऐसा अब संभव नहीं था । जब उन्होंने देखा की उनकी बातों की दाल नहीं गल रही है तो उन्होंने वही पुराणी राजनितिक चाल चल दि की आपको एक लड़की से एस तरह पेश नहीं आना चाहिए । आपके पास जरा सी भी तमीज नहीं है । पर वो टिकेट चेकर भी बड़े घाट चाट का पानी पिए हुए थे । उन्होंने उस महिला की एक भी चल को कामयाब नहीं होने दिया । आखिरकार उन महिला से भी जुरमाना वसूला गया । मुझे एक बात समझ में नहीं आई की इतनी बहस की क्या जरुरत थी । जब उन महिला को इतना ज्ञान था तो वो टिकेट ले कर क्यों नहीं बैठी और अगर वो पकड़ी गयी गयी तो उसने इतनी बहस क्यों की । चुपचाप जुरमाना दे कर क्यों नहीं चली गयी । उसके बाद जो बस चली तो सबकी निगाह उन दोनों पर थी और चर्चे भी उन दोनों के ही थे ।
आज में आपको अपने ऑफिस से जाने की कहानी कहने के बजाये घर से ऑफिस आने की कहानी कहने जा रहा हूँ । लोंगों को भ्रम है है की लड़के की आमतौर पर बदमाश या कामचोर होते है पर ऐसा नहीं है । कामचोरी की कोई उम्र , कोई जातपात , कोई धर्म नहीं होता । यहाँ तक की कामचोर कोई भी हो सकता है चाहे वो लड़का हो या लड़की । इसके लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है । हालाँकि मैंने ऐसा सुना था पर अपने आँखों से नहीं देखा था । और मैंने न ही कभी विश्वास किया था । रोज की तरह ही में पाने घर से बस पकड़ने के लिए सही समय पर निकल जाता हूँ पर उस विदेशी महिला ने पिछले २-३ दिनों में मेरी नींद और चैन से साथ खिलवाड़ कर दिया है । उसका असर मुझे अभी तक लगता है और उसी के कारण में आज बस पकड़ने में लेट हो गया । और अपनी नियमित बस को मिस कर दिया । और बहुत सी नियमित सवारिओं को भी । चलो कोई नहीं आज कोई और ही सही । मैं भी दूसरे बस में चढ गया और सोचा चलो थोडा बदलाव का आनंद लिया जाये । बस में कुछ खास भीढ़ नहीं थी । पर सीट भी नहीं मिली । मैं शाम वाला दिमाग सुबह लगाया और अपने संभावित सीट के पास खड़ा हो गया । सुबह सुबह बस का माहौल बड़ा रंगीन हो गया था बस में । सभी की गर्दन में बल पड़ गए थे । आप समझ ही गए होंगे क्यों । चूँकि ये परिवारिक ब्लॉग तो नहीं पर इसे सभ्य लोग पढते है तो सबका दिमाग चल ही गया होगा की में किस ओर निशाना लगा रहा हूँ । बस ला माहौल धीरे धीरे नरम से गरम होता गया । पर हाय सीट न मिली । पर मुझे उसका कोई गम नहीं था । अब बस में अच्छी खासी भीढ़ हो चुकी थी । बस में ठसाठस भीढ़ हो चुकी थी । ओर लोग एक दूसरे पर धक्को की भरमार कर रहे थे । की तभी बस ने फ़िल्मी अंदाज़ में ब्रेक लगायी । ओर ४-५ लोग फ़िल्मी अंदाज़ में फौज वालों की तरह चढ़े ओर सामान्य आदमी की तरह टिकेट चेक करने लगे । ऐसा देख कर मुझे अपने हाइ स्कूल के दिन याद आ गए । उन दिनों बी.जे.पी का राज हुआ करता था ओर नक़ल विरोधी दस्ते स्कूल में छापा मारते थे । और जो छात्र पकड़ा गया उसको सीधे जेल की हवा । कुछ ऐसा ही नज़ारा आज बस में था । जितनी तत्परता के साथ उन लोगों ने बस में चढ़ी सवारिओं से टिकेट मांगना शुरू किया वो देखने वाला था । सब लोग अपना अपना टिकेट दिखने लगे । तभी आवाज़ आई भाई साहब इधर आइये । उनको एक शिकार मिल गया था । चलो उन लोंगो ने किसी को तो पकड़ा और उनका मिशन सफल हुआ । उस पर २००-३०० का जुरमाना लगाया गया । वो जनाब बहुत शरीफ थे बिना किसी चुचपड के उन्होंने जुरमाना अदा कर दिया । टिकेट चेक करने वाले भी बड़ी शराफत के साथ उनका चालान काटा । वो लोग ये प्रक्रिया कर ही रहे थे की तभी एक आवाज़ और आई की एक और है । अब सबकी गर्दन दूसरी तरफ ही गयी । दूसरा शिकार शिकार नहीं शिकारिन निकली । वो अच्छे घर से संबंध रखने वाली लग रही थी और पढ़ी लिखी होने का सबूत दे रही थी । पर वो कहते है न की आप किसी को पढ़ा लिखा सकते है समझ और अकलमंदी वो खुद ले कर आता है । और मेरे ख्याल से वो ले कर आज नहीं आई थी । और साथ मैं अपना पास भी भूल गयी थी ऐसा उनका कहना था । पर चोर पहली बार चोरी करता क्यों न पकड़ा जाये चोर चोर होता है । उन महिला ने अपनी गलती को नहीं स्वीकार की उन्होंने टिकेट नहीं लिया उपर से झूठ पर झूठ बोले जा रही थी की उनके पास पास है और वो घर भूल गयी है । उस पर से बोल रही थी की अब वो टिकेट ले लेती है । पर ऐसा अब संभव नहीं था । जब उन्होंने देखा की उनकी बातों की दाल नहीं गल रही है तो उन्होंने वही पुराणी राजनितिक चाल चल दि की आपको एक लड़की से एस तरह पेश नहीं आना चाहिए । आपके पास जरा सी भी तमीज नहीं है । पर वो टिकेट चेकर भी बड़े घाट चाट का पानी पिए हुए थे । उन्होंने उस महिला की एक भी चल को कामयाब नहीं होने दिया । आखिरकार उन महिला से भी जुरमाना वसूला गया । मुझे एक बात समझ में नहीं आई की इतनी बहस की क्या जरुरत थी । जब उन महिला को इतना ज्ञान था तो वो टिकेट ले कर क्यों नहीं बैठी और अगर वो पकड़ी गयी गयी तो उसने इतनी बहस क्यों की । चुपचाप जुरमाना दे कर क्यों नहीं चली गयी । उसके बाद जो बस चली तो सबकी निगाह उन दोनों पर थी और चर्चे भी उन दोनों के ही थे ।
5 टिप्पणियाँ
Vipul sahab...kahani bayaan karne ka andaaz toh intersting hai magar ek baat joh main samajh nahi paayi woh yeh ki aap kaise jaante hain ki us mahila k paas PASS nahi thha.... aakhir iska faisla kaun karega...kya aapne unki aankhon mein padh liya thha ki woh jhoot bol rhi thhi?? Sach joh bhi ho...aap likhte mast hain... Keep Writing :)
जवाब देंहटाएंThank you Mohtarma ..
जवाब देंहटाएंMaine es liye kaha ki agar aap ek din pass bhul jaye to Ticket le kar hi chedenge na bas me checking ka intazar karengi ...aap kya karenge ye batayiye
haan ji bahut acche hume aapke likhne ka aandaj pashand aaya vipul ji
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंjust one word ..Awesome..dude..keep up..
जवाब देंहटाएंlikhte rahiye... aapki leknhi mia jaadoo hai :P