चतुर की चालाकी और महिला की एंट्री

अप्रैल 07, 2010

चतुर की चालाकी और महिला की एंट्री

आज ब्लॉग थोड़ी नहीं कुछ ज्यादा ही देर से लिखा रहा हूँ । कारण ऑफिस मैं सुबह से काम था । वैसे कल में अपने पुराने टाइम पर ऑफिस से निकला तो बड़ा अच्छा लगा आज ब्लॉग थोड़ी नहीं कुछ ज्यादा ही देर से लिखा रहा हूँ । कारण ऑफिस मैं सुबह से काम था । वैसे कल में अपने पुराने  टाइम पर ऑफिस से निकला तो बड़ा अच्छा लगा । वही पुरानी जगमगाती लाइट्स बड़ी अच्छी लग रही थी  । मुझे भी अच्छा लग रहा था । मैं  बस स्टैंड पंहुचा तो बड़ा सुकून टाइप का मिला । आज बहुत से चेहरों को में पह्चानता था । बस को आने में अभी थोड़ी देर थी पर में घूम घूम कर सबको देख रहा था और कुछ और चेहरों की तलाश कर रहा  था । पर आज थोड़ी भीढ़ हो गयी थी ऐसा क्यों हुआ था ये मुझे पता चल गया क्योंकि पिछले आधे घंटे से कोई बस नहीं आई थी । अब मेरे मन मैं अभी से प्लान बनने लगे की सीट कैसे हासिल करनी है । बस सरे अरमान अरमान रह गए और अजूबा हो गया । एक साथ तीन बस आ गयी सो सारी की सारी भीड तीनो बसों में बिखर गयी और मैं अराम से चढ़ गया । पर अंदर वही रोज की कहानी सीट के लिए जुगत लगाना था । मैं एक भद्र जनाब ले बगल में बैठ मतबल खड़ा हो गया । और मुझे उम्मीद थी की वो जल्दी ही उठेगा और मुझे सीट मिलेगा । और वैसा नहीं हुआ जैसा सोचा था । तभी जन्हा में खड़ा था पीछे एक ठंडी हवा का झोंखा आया जी हाँ ये वही ठंडी हवा का झोंखा था जो सलमान ने दिल दे चुके सनम में किया था । अब तो सब के सब बस को पकड़ना भूल कर अपनी अपनी नाक पकड़ ली । मैंने भी बहती गंगा मैं हाथ धो लिया और नाक पर रुमाल का साया रक्खा । और मुझे क्या मेरे ख्याल से बस के सभी को २ चीजे जरूर यार आई होंगी । पहला ये की वो सबसे पुराना दोहा आदा पा** किसने पा** बस बाकी तो आपको याद आ ही गया होगा । और दूसरा थ्री इडीयट के चतुर उर्फ साईंलेंसर जो क्रिया करने के बाद कर्म के हक़दार किसी और को बना देते थे । खैर किसी तरह उस हवा के झोखे को गायब किया उसमे एक बड़ी ही सुंदर महिला का ८० प्रतिशत से ज्यादा योगदान था क्योंकि उनके सुंदर शरीर से जो डियो खुशबु दे रहा था वो उस समय जन्नत का एहसास करा रहा था । हवा के झोखे ने शायद इतना मुझे इतना हिला दिया था की मुझे पता ही नहीं चला कब मेरा शिकार को  कोई और शिकार कर गया । मतलब मेरी सीट फुस्स । लो अब खड़े रहो । लेकिन नहीं ऐसा नहीं हुआ । ५ मिनट के बाद ही मुझे सीट मिल गयी । अब कुछ चैन आया । पर उन महिला के डियो ने शायद बस मैं कुछ ज्यादा ही हलचल मचा दी थी क्योंकी हर कोई उनके ही पास जा कर खड़ा होने का प्रयास कर रहा था जिससे एक तरह की अफरातफरी का माहौल हो गया था । उस माहौल को देख कर लगता था की जैसे जमीन पर कुछ बूंद चीनी की गिरी को और बहुत सरे चिटे उसे खाने के लिए उसके चारो तरफ घेर कर बैठे हो । पर उनको शायद ये नहीं पता था की ये चीनी मीठी नहीं है । अलविदा मेरा स्टैंड आ गया ।
  वही पुरानी जगमगाती लाइट्स  बड़ी अच्छी लग रही थी मुझे भी अच्छा लग रहा था । में बस स्टैंड पंहुचा तो बड़ा सुकून टाइप का मिला । आज बहुत से चेहरों को में पह्चानता था । बस को आने में अभी थोड़ी देर थी पर में घूम घूम कर सबको देख रहा था और कुछ और चेहरों की तलाश कर रहा  था । पर आज थोड़ी भीढ़ हो गयी थी ऐसा क्यों हुआ था ये मुझे पता चल गया क्योंकि पिछले आधे घंटे से कोई बस नहीं आई थी । अब मेरे मन मैं अभी से प्लान बनने लगे की सीट कैसे हासिल करनी है । बस सरे अरमान अरमान रह गए और अजूबा हो गया । एक साथ तीन बस आ गयी सो सारी की सारी भीड तीनो बसों में बिखर गयी और मैं अराम से चढ़ गया । पर अंदर वही रोज की कहानी सीट के लिए जुगत लगाना था । मैं एक भद्र जनाब ले बगल में बैठ मतबल खड़ा हो गया । और मुझे उम्मीद थी की वो जल्दी ही उठेगा और मुझे सीट मिलेगा । और वैसा नहीं हुआ जैसा सोचा था । तभी जन्हा में खड़ा था पीछे एक ठंडी हवा का झोंखा आया जी हाँ ये वही ठंडी हवा का झोंखा था जो सलमान ने दिल दे चुके सनम में किया था । अब तो सब के सब बस को पकड़ना भूल कर अपनी अपनी नाक पकड़ ली । मैंने भी बहती गंगा मैं हाथ धो लिया और नाक पर रुमाल का साया रक्खा । और मुझे क्या मेरे ख्याल से बस के सभी को २ चीजे जरूर यार आई होंगी । पहला ये की वो सबसे पुराना दोहा आदा पा** किसने पा** बस बाकी तो आपको याद आ ही गया होगा । और दूसरा थ्री इडीयट के चतुर उर्फ साईंलेंसर जो क्रिया करने के बाद कर्म के हक़दार किसी और को बना देते थे । खैर किसी तरह उस हवा के झोखे को गायब किया उसमे एक बड़ी ही सुंदर महिला का ८० प्रतिशत से ज्यादा योगदान था क्योंकि उनके सुंदर शरीर से जो डियो खुशबु दे रहा था वो उस समय जन्नत का एहसास करा रहा था । हवा के झोखे ने शायद इतना मुझे इतना हिला दिया था की मुझे पता ही नहीं चला कब मेरा शिकार को  कोई और शिकार कर गया । मतलब मेरी सीट फुस्स । लो अब खड़े रहो । लेकिन नहीं ऐसा नहीं हुआ । ५ मिनट के बाद ही मुझे सीट मिल गयी । अब कुछ चैन आया । पर उन महिला के डियो ने शायद बस मैं कुछ ज्यादा ही हलचल मचा दी थी क्योंकी हर कोई उनके ही पास जा कर खड़ा होने का प्रयास कर रहा था जिससे एक तरह की अफरातफरी का माहौल हो गया था । उस माहौल को देख कर लगता था की जैसे जमीन पर कुछ बूंद चीनी की गिरी को और बहुत सरे चिटे उसे खाने के लिए उसके चारो तरफ घेर कर बैठे हो । पर उनको शायद ये नहीं पता था की ये चीनी मीठी नहीं है । अलविदा मेरा स्टैंड आ गया । 

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