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आसमानी

बरसात की बूँद

बरसात की बूँद  गालों पर तेरे बरसात का पानी, हवाओं से कांपते होंठ गुलाबी. नशीली आँखों का रंग आसमानी, नाक पर गुस्सा है बेमानी. सिकुड कर तेरा बैठना, जैसे फूल की हो खिलने की तैयारी. हवा के झोके ने भी ठानी, तेरे जुल्फों से करनी थी जैसे उसे मनमानी. बार-बार तेरे गैसुहों का लहराना कर आँखों पर आना, तेरा प्यार से उनको संवारना....

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कश्ती

बरसात की वो रात...

11अगस्त की बात है शाम के करीब 7 बजे होंगे. बादलों ने आज महीनो से सूखी धरती को सराबोर करने की ठान रखी थी. पानी इतनी तेज बरस रहा था, मानो आज ही सारा पानी गिर जायेगा. बूंदों की आवाज़ और सड़क पर पानी का बहाव दोनों ही अच्छे लग रहे थे. मेरा भी ऑफिस खत्म हो चुका था. घर जाने का इंतज़ार...

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की रात

जम के बरसो आज

जम के बरसो आज  जम कर बरसो आज धो दो सारी पानी वाली आग लोग हो जाये तुमसे निहाल और फिर कहे तुम क्यों आये आज तुम तब भी ना रुकना तुम अपने वेग तो मत थमने देना रफ़्तार और बढा देना बुँदे और बड़ी कर देना फिर लोग कहेंगे आज तुम क्यों बरसे , इतना विशाल तुम फिर भी मत सुनना इनकी...

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