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अभिमान

रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.

रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं. दिक्कतें हज़ार हो, मुश्किलों का पहाड़ हो. बन कर रोशनी तुम, मोड़ दो अँधेरे का मुँह. रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं. लोग कहेंगे, कहते रहेंगे, कुछ ना करने वाले सिर्फ बात करेंगे. धार लगा अपनी हिम्मत को, मान से लगा आग सबके अभिमान को. रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं. रगों में...

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आकृति

प्यार का बर्थ डे

मेरी दिल्ली. कहने को तो ये सबकी है. थोड़ी सी मेरी भी. अब मैं ऐसा कह सकता हूँ क्योंकि दिल्ली अब मेरी यादों में भी बस चुका है. मुझे रहते हुए वैसे तो कई साल हो गए हैं. पर आज भी वो पल याद है जब मेरी तुमसे मुलाकात हुई थी. कोई 7 साल पुरानी 19 जुलाई २००४ की बात है.  मैं एक...

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ऑक्सफोर्ड

मेट्रो में ढिशुम-ढिशुम

मुझे याद नहीं मैंने फ़िल्में देखना कब शुरू किया, हाँ इतना जरुर याद है की देखी बहुत सी फ़िल्में हैं. पहले आज की तरह 24 घंटे का चैनल नहीं हुआ करते थे.एक मात्र देखने का जरिया दूरदर्शन हुआ करता था. जोकि हफ्ते में 2 बार फिल्मे देता था शनिवार और रविवार. पर हम लोगों के पास एक और भी जरिया था वो था...

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अमिताभ

पहचान कौन ?

अक्सर रात में जब ऑफिस से लेट घर जाता हूँ तो घर पहुच कर बड़ा अजीब लगता है. क्योंकि मेरी माता श्री को छोड़ कर सब सो चुके होते हैं. आपके पास किसी से बात करने का समय नहीं होता. सबसे बड़ी बात होती है कि कभी-कभी मेरा भतीजा जिसे रात में सुलाने के लिए नाकों चने चबाना पड़ते हैं, वो भी मेरा...

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क्रू मेम्बर

रघु, राम और रोडीज

रविवार की रात का कोई 12 बजा होगा, आखों से नींद कोसों दूर थी और लगता भी नहीं की जल्दी नींद आने वाली थी, क्योंकि कल मेरी मुलाकात उन लोगों से होनी थी जो आज देश में अपना एक मुकाम रखते हैं. पिछले कुछ सालों से उन्हें लगातार टीवी पर देख रहा हूँ, यदा-कदा टिप्पणी भी करता था पर अपने दिल में ही रखता या...

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कश्ती

बरसात की वो रात...

11अगस्त की बात है शाम के करीब 7 बजे होंगे. बादलों ने आज महीनो से सूखी धरती को सराबोर करने की ठान रखी थी. पानी इतनी तेज बरस रहा था, मानो आज ही सारा पानी गिर जायेगा. बूंदों की आवाज़ और सड़क पर पानी का बहाव दोनों ही अच्छे लग रहे थे. मेरा भी ऑफिस खत्म हो चुका था. घर जाने का इंतज़ार...

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गुड़गांव

भरी मेट्रो में जेब खाली

मेट्रो में आजकल भीड़ ऐसे बढ़ रही है जैसे रेलवे स्टेशन में चूहे. हर कोई मेट्रो से ही जाने की जिद करता है. दिल्ली तो छोडिये बाहर का भी कोई दिल्ली आता है तो सबसे पहले मेट्रो का ही जिक्र करता है. मेट्रो है भी शानदार नए चमचमाते डिब्बे, एसी का आनंद, कम किराया और बस से जल्दी पंहुचाने की गारंटी. आप अगर...

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आपाधापी

कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं, जानता नहीं हूँ, अँधेरे गर्भ से निकला, महीनों तक पला, नाल से किसी से था जुड़ा, क्यों हुई उत्पत्ति मेरी, अंजान था मैं, बेखबर जब प्रकाश ने छुआ मुझे, ऑंखें हुई छुईमुई, जुदा कर दिया नाल से मुझे, फिर भी अंजान रहा बरसों तक, कौन हूँ मैं ? अ, म, ब से गुनगुनाता हुआ, अपनी ही आवाज़ से खुश होता...

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ईनाम

मेट्रो में मैराथन

ये दिल्ली है मेरी जान ! जानते हो क्यूँ ? क्योंकि यहां दिल वालों की मंडली रहती है । हर कोई दिल देने और दिल लेने में लगा हुआ है । कमी है बस तो एक कि टाइम नहीं है किसी के पास और अगर है तो फिर खूब सारा फिर  तक जब तक आप उससे उब नहीं जाते आप उसे छोड़ नहीं...

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