कमर पर हाथ और आगे बढ़ने का साथ

मार्च 31, 2010

बस का सफर कभी कभी इतना अच्छा होता है की क्या केहने । खास कर जब कोई सुगन्धित इत्र या परफयूम लगाए कोई खूबसूरत सी महिला या स्त्री आपके निकट बैठी हो और जब खिडकी से एक मस्त हवा चले और उसके सेंट की खुशबु पुरे तन बदन को हिला दे । तो सफर का मज़ा ही कुछ और होता है । पर मैं इस सुख से हमेशा वंचित रहा हूँ । हाँ थोडा कुछ कुछ पास तक पंहुचा हू पर ठीक वैसे नहीं हुआ जैसा लिखा ।
खैर रोज की तरह कल भी मैं बस पकड़ने जब स्टैंड पंहुचा तो देखा आज भी भीड़ तो याद आया आज फिर मैं ऑफिस से जल्दी ही आया हूँ । आज कुछ नए चेहरे मेरे सामने थे क्योंकि आज मैं जल्दी आ गया था । शायद वो भी भी एक अनजान चेहरा देख कर कुछ हैरान नहीं होंगे क्योंकि वो मेरे तरह नए नए ब्लॉगर नहीं होंगे क्योंकि ब्लॉग के चक्कर में मुझे हमेशा कुछ न कुछ गौर करने का चस्का लग गया है । खैर उनमे कुछ नए चहरे थे कुछ नहीं शायद सभी नए थे क्योंकि में आधे घंटे पहले आया था । चलो कोई नहीं पहले आने का कुछ तो फायदा मिला । कुछ नए चेहरे देखने को मिले । दूर से देखा तो बस आ रही थी । पर वो कहावत है न रोज एक ही चने के खेत से रास्ता नहीं मिलता । मुझे भी भाग कर बस पकडनी पड़ी । चलो बस के अंदर तो आ गया पर वो खूबसूरत चेहरे स्टैंड पर छूट गए थे । मैं और बस में खूब लोंग ही आगे बढे । रोज की तरह बस मैं भीड़ तो थी पर आज कुछ ज्यादा ही लग रही थी । बस मैं कुछ चेहरे पहचाने नज़र आये । पर बस मैं आज माहौल कुछ गरम टाइप था ये नहीं कह सकता ये बढती गर्मी का असर था या बस मैं भीड़ जायदा । क्योंकि मेरे चड़ने के १० मिनट के भीतर ही आवाज़ आने लगी की अब गेट मत खोलना । इतने मैं कोई चिल्लाया की गाते खोलो मेरा पांव फस गया । तो कंडटर ने बड़े ही झल्लाते हुए कहा क्या यही बस मिली है चड़ने के लिए अब कोई नहीं आयेगी क्या । तो आदमी ने बड़े भोलेपन में कहा पहले गेट तो खुलवाओ फिर बात बनाओ । गेट खुला पैर बाहर निकला और मज़ा शुरू हुआ
आब उस आदमी ने अपना असली और रोद्र रूप धारण कर लिया था । उसने कंडटर को पहले झाडा फिर लोंगो को आगे बढ़ने के नाम पर धक्का देने लगा । तभी किसी ने कहा कमर पर से हाथ हटाओ फिर किसी ने कहा मैंने नहीं लगाया है देखो मेरे हाथ तो उपर है । किसी ने कहा ये कौन सा तरीका है की कमर पर हाथ लगाने से आज तक कोई आगे बढ पाया है । तो किसी ने कहा कंही बढे न बढे बस मैं तो आगे बढे पाया है । एक जनाब की इस तुकबंदी ने बस मैं एक खुशनुमा माहौल बना दिया था । कल मेरी कोई भी तरकीब काम नहीं आई क्योंकि कल मैंने अपना पूरा सफर खड़े खड़े किया । पर सच कहू तो ये भी एक तरह का मज़ेदार जीवन है ।

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