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Book Review BANKSTER by Ravi Subramaniam

The Bankster Book Book Review for blogadda The story revolves around different places across the globe .giving the description of various places so apt and true to life. This book takes us from Angola to Cochin to Vienna to Mumbai. Each location introduces different stories with different characters weaving different plots altogether. Connecting these stories and maneuvering with multiple scenarios with various characters spanning different...

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आन्दोलन

मेट्रो में लद्दाख का अनुभव

मेट्रो में लद्दाख का अनुभव  लद्दाख के बारे में मुझे सबसे पहले जो याद आता है वो है बेहतरीन नज़ारा, जो सिर्फ टीवी में देखा है. लद्दाख मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है. पर दूर इतना है पूछो मत. आज़ादी से पहले जब आज़ादी के आन्दोलन होते थे तो सबको दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए कहा जाता था. चूँकि तब यातायात...

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आसमानी

बरसात की बूँद

बरसात की बूँद  गालों पर तेरे बरसात का पानी, हवाओं से कांपते होंठ गुलाबी. नशीली आँखों का रंग आसमानी, नाक पर गुस्सा है बेमानी. सिकुड कर तेरा बैठना, जैसे फूल की हो खिलने की तैयारी. हवा के झोके ने भी ठानी, तेरे जुल्फों से करनी थी जैसे उसे मनमानी. बार-बार तेरे गैसुहों का लहराना कर आँखों पर आना, तेरा प्यार से उनको संवारना....

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अँधेरा

अहसास

दूर रह कर भी कितने पास हो तुम, मेरी साँस की आस हो तुम. महसूस होता है जेहन तक तू, चाहता हूँ और करू महसूस तुझे. हर लेती साँस के साथ, करता हूँ जब ऑंखें बंद चेहरा नज़र आता है तेरा वो मासूम अदा, अल्हड हंसी, वो जुल्फों का अँधेरा, वो गुलाबी होंठों का नशा. आज भी महसूस करता हूँ तुझे इन हवाओं...

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अभिमान

रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं.

रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं. दिक्कतें हज़ार हो, मुश्किलों का पहाड़ हो. बन कर रोशनी तुम, मोड़ दो अँधेरे का मुँह. रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं. लोग कहेंगे, कहते रहेंगे, कुछ ना करने वाले सिर्फ बात करेंगे. धार लगा अपनी हिम्मत को, मान से लगा आग सबके अभिमान को. रुको नहीं, थको नहीं, किसी से तुम झुको नहीं. रगों में...

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आकृति

प्यार का बर्थ डे

मेरी दिल्ली. कहने को तो ये सबकी है. थोड़ी सी मेरी भी. अब मैं ऐसा कह सकता हूँ क्योंकि दिल्ली अब मेरी यादों में भी बस चुका है. मुझे रहते हुए वैसे तो कई साल हो गए हैं. पर आज भी वो पल याद है जब मेरी तुमसे मुलाकात हुई थी. कोई 7 साल पुरानी 19 जुलाई २००४ की बात है.  मैं एक...

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ऑक्सफोर्ड

मेट्रो में ढिशुम-ढिशुम

मुझे याद नहीं मैंने फ़िल्में देखना कब शुरू किया, हाँ इतना जरुर याद है की देखी बहुत सी फ़िल्में हैं. पहले आज की तरह 24 घंटे का चैनल नहीं हुआ करते थे.एक मात्र देखने का जरिया दूरदर्शन हुआ करता था. जोकि हफ्ते में 2 बार फिल्मे देता था शनिवार और रविवार. पर हम लोगों के पास एक और भी जरिया था वो था...

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अमिताभ

पहचान कौन ?

अक्सर रात में जब ऑफिस से लेट घर जाता हूँ तो घर पहुच कर बड़ा अजीब लगता है. क्योंकि मेरी माता श्री को छोड़ कर सब सो चुके होते हैं. आपके पास किसी से बात करने का समय नहीं होता. सबसे बड़ी बात होती है कि कभी-कभी मेरा भतीजा जिसे रात में सुलाने के लिए नाकों चने चबाना पड़ते हैं, वो भी मेरा...

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क्रू मेम्बर

रघु, राम और रोडीज

रविवार की रात का कोई 12 बजा होगा, आखों से नींद कोसों दूर थी और लगता भी नहीं की जल्दी नींद आने वाली थी, क्योंकि कल मेरी मुलाकात उन लोगों से होनी थी जो आज देश में अपना एक मुकाम रखते हैं. पिछले कुछ सालों से उन्हें लगातार टीवी पर देख रहा हूँ, यदा-कदा टिप्पणी भी करता था पर अपने दिल में ही रखता या...

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कश्ती

बरसात की वो रात...

11अगस्त की बात है शाम के करीब 7 बजे होंगे. बादलों ने आज महीनो से सूखी धरती को सराबोर करने की ठान रखी थी. पानी इतनी तेज बरस रहा था, मानो आज ही सारा पानी गिर जायेगा. बूंदों की आवाज़ और सड़क पर पानी का बहाव दोनों ही अच्छे लग रहे थे. मेरा भी ऑफिस खत्म हो चुका था. घर जाने का इंतज़ार...

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