सोमवार को मेरे एक दोस्त की सगाई थी पर कुछ कारणवश जा ना सका तो उसको ये एक तुच्छ सी कविता समर्पित करता हूँ और उम्मीद करता हूँ की वो अपनी शादी तक मुझे याद रखेगा और अपनी शादी का लड्डू मुझे भी चखायेगा ........आगे की कविता प्रस्तुत है ...... सगाई विशेषांक कुछ दिन खुशी से और जी लो कुछ दिन खाना खुद...
मेट्रो में चीन की दीवार
6 वर्ष पहले