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कष्ट

कॉमनवेल्थ गेम्स के चक्कर में, लड़का शिकार हो गया लड़की की टक्कर में

कॉमनवेल्थ गेम्स से सरकार को उतना फायदा नहीं मिला होगा जितना कष्ट आम जनता को हुआ होगा  बसों की हालत खराब है यात्री बेहाल हैं और सरकार लाइलाज है । जैसे जैसे कॉमनवेल्थ गेम्स की तारिख पास आ रही है वैसे वैसे आम लोंगो की दिक्कत बढती जा रही है । हालाँकि इसके दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे पर अभी तो लंका लगी हुई...

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एफम

बस में भीड़ और विज्ञापन का असर साथ में कॉमन वेल्थ फ्री

बस में भीड़ और विज्ञापन का असर साथ में कॉमन वेल्थ फ्री आज कल जिधर देखो खुदा ही खुदा है, मैं दिल्ली के रास्तों की बात कर रहा हूँ । आप जिधर देख लो हर तरफ खुदा है और उसमे पानी भरा हुआ है और साथ में वो मच्छर प्रजनन स्थल बने हैं । और उन्हें मीडिया बड़ी ही तन्मंता के साथ दिखा...

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आज़ाद

चन्द्र शेखर आज़ाद को समर्पित एक कविता

आज कुछ लिखने का नहीं बल्कि गुनगुनाने का मन किया तो सहसा ही पता नहीं कहाँ से चंद्रशेखर आज़ाद याद आ गए और उनपर मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी है उनको आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ आशा है आपको पसंद आएगी देश को आज़ाद कराने, की ज़िद जिसने ठानी थी उठा कर बन्दूक, चलाकर कर गोली, लिखनी नयी कहानी थी भगत बिस्मिल के साथ,...

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अनुरोध

अब हिंदी में छा जाना है

सभी मित्रों और बंधुजनो कों प्रणाम मैंने कुछ दिन पूर्व ही ये मंच ज्वाइन किया है और कुछ ही दिनों में मुझे इससे बहुत कुछ सिखने मिला . जिससे मुझे एक नया मार्गदर्शन मिला। जिसके फलस्वरुप मेरा ५ महीने पुराना ब्लॉग(Nayadinnayikahani.blogspot.com) बहुत अच्छी तरह से चल गया और मुझे एक अंतर्राष्टीय  संस्था ने अपने हिंदी के ब्लॉग का एडिटर बना दिया है। http://worldlanguagecommunications.com/...

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जेबकतरे

बस में मैं भी हुआ शिकार, जुदा हुआ यादों का संसार

मुझे बस में यात्रा करते हुए कोई 2 दशक से थोड़ा कम ही हुआ होगा बस इतने सालों को ब्लॉग के जरिये समेट पाना थोड़ा मुश्किल काम है पर में इसे लगातार लिखने का प्रयास करता हूँ ताकि धीरे धीरे ये इतने साल महीनो में बदल जाये और मेरी आदत लग जाये । ब्लॉग लिखेने की शुरुवात एक मजाक मजाक में हुई थी पर...

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कनटोपा

अजब रास्तों की थोड़ी गजब कहानी, तड़का मार के मेरी जुबानी

आप कभी कभी चाह कर भी कुछ नहीं लिख सकते क्योंकी आपका मन नहीं लगता है । कुछ करने में बहुत कुछ सितम सेहना है । इतने दिनों से ब्लॉग से दूर हूँ पर सच मानिये मन से नहीं तन से मजबूर हूँ ।  दिल हमेशा सही कहता है ये हर शायर कहता है । वैज्ञानिक दिल छोड कर दिमाग की बात मानने...

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काम का चस्का

सुबह सुबह शिव के दर्शन, चलती बस में कीर्तन

क्या सोचू क्या लिखू  कभी कभी खुद से यही पूछता हूँ । खुद से कभी कभी । जवाब वही आता है जो लिखें वाला हूँ “चुप चाप जो मन में आये लिखे जायदा पका मत’ । सच में यही वो ख्याल है जब में थोडा ज्यादा ही सोचने लगता हूँ । तो प्रयास कम ही करता हूँ । मैं अपनी रोज ही जिंदगी...

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छोटा

बस में वियाग्रा गुरु का व्याख्यान, सफर में हुआ आराम

बस में वियाग्रा गुरु का व्याख्यान, सफर में हुआ आराम बात को २-३ दिन बीत चुके हैं । मुझे नहीं पता ये २-३ दिन मेरे किस तरह बीते हैं ।  समोसे वाली घटना के बाद में बड़े ही संभल कर बस में सीट चुनता हूँ । वक्त शाम का था ऑफिस से जाते हुए मैंने उस दिन समोसे के बजाय भुट्टे को प्राथमिकता...

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इंग्लिश

बस में २ तरफ़ा हमला और मैं बेचारा अकेला

बस में २ तरफ़ा हमला और मैं बेचारा अकेला कल मुझे एक जरूरी काम से कंही जाना था पर ऑफिस में थोड़े काम की वजह से में वो काम नहीं कर पाया । खैर उसका कोई मलाल नहीं । मैं भी रोज की तरह मस्ती में ऑफिस से घर की तरफ गुनगुनाते हुए निकला । इस बात से अनजान की आज बस में...

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की रात

जम के बरसो आज

जम के बरसो आज  जम कर बरसो आज धो दो सारी पानी वाली आग लोग हो जाये तुमसे निहाल और फिर कहे तुम क्यों आये आज तुम तब भी ना रुकना तुम अपने वेग तो मत थमने देना रफ़्तार और बढा देना बुँदे और बड़ी कर देना फिर लोग कहेंगे आज तुम क्यों बरसे , इतना विशाल तुम फिर भी मत सुनना इनकी...

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उपदेश

बस में यात्रीयों की कुछ खास आदतें

बस में यात्रीयों  की कुछ खास आदतें सुबह उठने अगर आपको ५ मिनट भी लेट होता है तो आपकी पूरी दिनचर्या डांवाडोल हो जाती है ।  फिर एक के बाद एक आप लेट ही होते जाते है । जब तक की आप किसी एक महत्वपूर्ण काम को छोड ना दे । पर उसको छोडना भी एक साहस वाला काम है । की किसी...

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कामचोर

बड़े दिनों के बाद एक बार फिर ब्लॉगर के साथ

बड़े दिनों के बाद एक बार फिर ब्लॉगर के साथ आज एक बार फिर इतने दिनों के बाद आपके सामने कुछ लिखे का मन हुआ है । पिछले लगभग एक महीने से कुछ ज्यादा ही व्यस्त था जिसके कारण में ब्लॉग में एक भी एंट्री नहीं लिख सका । इसके पीछे कुछ कारण थे । कुछ तो अपने काम में व्यस्त होना अर्थात...

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इन्टरनेट

रिक्शे पे सवारी और उसकी रफ़्तार

रिक्शे पे सवारी और उसकी रफ़्तार आज कल ऑफिस में अत्यधिक काम कि वजह से आने और जाने का सारा समय बदल गया है । जिसके कारण लिखने का समय भी नहीं निकल पात हूँ चूँकि घर पर कंप्यूटर है पर इन्टरनेट न होने के कारण घर पर लिखने का काम नहीं कर पाता हूँ । इसलिए अपने ब्लॉगर के कारण ऑफिस के...

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