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ऑक्सफोर्ड

मेट्रो में ढिशुम-ढिशुम

मुझे याद नहीं मैंने फ़िल्में देखना कब शुरू किया, हाँ इतना जरुर याद है की देखी बहुत सी फ़िल्में हैं. पहले आज की तरह 24 घंटे का चैनल नहीं हुआ करते थे.एक मात्र देखने का जरिया दूरदर्शन हुआ करता था. जोकि हफ्ते में 2 बार फिल्मे देता था शनिवार और रविवार. पर हम लोगों के पास एक और भी जरिया था वो था...

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अमिताभ

पहचान कौन ?

अक्सर रात में जब ऑफिस से लेट घर जाता हूँ तो घर पहुच कर बड़ा अजीब लगता है. क्योंकि मेरी माता श्री को छोड़ कर सब सो चुके होते हैं. आपके पास किसी से बात करने का समय नहीं होता. सबसे बड़ी बात होती है कि कभी-कभी मेरा भतीजा जिसे रात में सुलाने के लिए नाकों चने चबाना पड़ते हैं, वो भी मेरा...

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क्रू मेम्बर

रघु, राम और रोडीज

रविवार की रात का कोई 12 बजा होगा, आखों से नींद कोसों दूर थी और लगता भी नहीं की जल्दी नींद आने वाली थी, क्योंकि कल मेरी मुलाकात उन लोगों से होनी थी जो आज देश में अपना एक मुकाम रखते हैं. पिछले कुछ सालों से उन्हें लगातार टीवी पर देख रहा हूँ, यदा-कदा टिप्पणी भी करता था पर अपने दिल में ही रखता या...

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कश्ती

बरसात की वो रात...

11अगस्त की बात है शाम के करीब 7 बजे होंगे. बादलों ने आज महीनो से सूखी धरती को सराबोर करने की ठान रखी थी. पानी इतनी तेज बरस रहा था, मानो आज ही सारा पानी गिर जायेगा. बूंदों की आवाज़ और सड़क पर पानी का बहाव दोनों ही अच्छे लग रहे थे. मेरा भी ऑफिस खत्म हो चुका था. घर जाने का इंतज़ार...

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गुड़गांव

भरी मेट्रो में जेब खाली

मेट्रो में आजकल भीड़ ऐसे बढ़ रही है जैसे रेलवे स्टेशन में चूहे. हर कोई मेट्रो से ही जाने की जिद करता है. दिल्ली तो छोडिये बाहर का भी कोई दिल्ली आता है तो सबसे पहले मेट्रो का ही जिक्र करता है. मेट्रो है भी शानदार नए चमचमाते डिब्बे, एसी का आनंद, कम किराया और बस से जल्दी पंहुचाने की गारंटी. आप अगर...

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आपाधापी

कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं, जानता नहीं हूँ, अँधेरे गर्भ से निकला, महीनों तक पला, नाल से किसी से था जुड़ा, क्यों हुई उत्पत्ति मेरी, अंजान था मैं, बेखबर जब प्रकाश ने छुआ मुझे, ऑंखें हुई छुईमुई, जुदा कर दिया नाल से मुझे, फिर भी अंजान रहा बरसों तक, कौन हूँ मैं ? अ, म, ब से गुनगुनाता हुआ, अपनी ही आवाज़ से खुश होता...

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ईनाम

मेट्रो में मैराथन

ये दिल्ली है मेरी जान ! जानते हो क्यूँ ? क्योंकि यहां दिल वालों की मंडली रहती है । हर कोई दिल देने और दिल लेने में लगा हुआ है । कमी है बस तो एक कि टाइम नहीं है किसी के पास और अगर है तो फिर खूब सारा फिर  तक जब तक आप उससे उब नहीं जाते आप उसे छोड़ नहीं...

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अड्डे

इश्क-विश्क और फेसबुक

मेट्रो अपने एक तरह की माया नगरी है जहां हर कोई कलाकार है और वही उसका निर्देशक है. हर रोज एक नई फिल्म लिखी जाती है और उस पर काम होता है । जिसमे मेट्रो एक बड़ा ही महत्वपूर्ण रोल निभाता है । क्योंकि मेट्रो प्यार की नई फ़सल वालों के लिए सबसे अच्छे अड्डे बनते जा रहे हैं । कन्धों पर बैग...

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अड्डा

मेट्रो महिला कोच : कोच एक, फायदे अनेक ।

मेट्रो में अब रोज सफर होता है, जो हर रोज इंग्लिश के सफर में बदलता है । क्योंकि हर कोई एक ही मेट्रो में जाना चाहता है क्योंकि उसे सबसे पहले जाना है और ऑफिस में शायद बॉस की डांट से बचना है । इसमें पुरुष तो पुरुष महिलाएं भी पीछे नहीं है ।  वो भी भाग-भाग कर पुरुषों से कंधे से कंधा...

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अहसास

कोई सोया नहीं रात भर..

कोई सोया नहीं रात भर.. जागती ऑंखें बताती हैं...कोई सोया नहीं रात भर, याद करता रहा तारे गिन, वो रात भर । बिस्तर की सिलवटें कहती हैं...कोई सोया नहीं रात भर, गिनते रहे करवटों का बदलना, वो रात भर । किताबों में रखे गुलाब बताते है...कोई सोया नहीं रात भर,   मुरझाये फूलों से पाते रहे खुश्बू का अहसास, वो रात भर ।...

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करवट

क्या है जिंदगी ?

क्या है जिंदगी ? उलझी हुई डोर सी लगती है कभी, हर सुलझती गाँठ से उलझती है जिंदगी. क्या कहू तुझे ऐ जिंदगी,  हर पल समझता हूँ तुझे फ़ना जिंदगी. बहुत कुछ सीखा है तुझसे, गिर कर उठना, फिर चलना है जिंदगी. जब सोचा बहुत हुआ अब और नहीं,  हिम्मत करके लड़ना है जिंदगी. मुक्कदर में लिखा है मिलेगा,  ना मिले गर तो लड़,...

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इंडिया गेट

मासूम बचपन

मेरे और मेरे भतीजे अरनव के बीच ऐसा होता है, तो सोचा सब चीजों को शब्दों के रूप में आपके सपने प्रस्तुत कर दूँ । आशा करता हूँ मेरा ये प्रयास आपको अच्छा लगेगा ।                मासूम बचपन  चंचल आँखों के नए सपने, हर रोज खिलौनों से खेले । अपनी हर बात को मनवाती, तेरी ये मासूम ऑंखें...

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पेट्रोल

लाल बत्ती का बाजार, बचत का भंडार

कहते हैं बड़े-बड़े शहर कभी नहीं सोते पर मैं कहता हूँ वो जागते हैं आपने सपने पूरा करने के लिये । क्योंकि वो हर समय अपनी धुन में रहते हैं । और सब के सब अपने सपने को पूरा करने के जुगाड में लगे रहते हैं । इसलिये घर में लोग कम हो रहे हैं और रोड पर बढ़ रहे हैं जाने किसकी...

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